Wednesday, April 7, 2010

ऑपरेशन ग्रीन हंट बनाम ऑपरेशन सानिया-शोएब निकाह

खबर खबर खबर...सानिया मिर्जा ने शादी करने का किया फैसला..खबर खबर खबर..... पाकिस्तानी क्रिकेटर शोयेब मलिक से 15 अप्रैल को करेंगी शादी..... खबर खबर खबर... शोयब पर आरोप, आयशा सिद्दकी है शोयब की पहली बीवी...खबर खबर खबर।
पिछले दिनों हर तरफ सानिया, शोएब और वो की खबर बिकने वाली खबर रही। भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और पाकिस्तानी क्रिकेटर शोयब मलिक के निकाह में कब कहां और कैसे टि्वस्ट आ रहा है... सानिया को इसके बारे में खुद खबर कम रही होगी...चैनलों के मुस्तैद रिपोर्ट्स को ज्यादा थी। खबर में वैसे दिलचस्पी सभी की थी भी....सानिया के फैसले पर थोड़ी हैरानी भी सभी को हुई। सब ये ही सोच रहे थे कि आखिर सानिया ने निकाह के लिए शोएब मलिक को ही क्यों चुना ? तिस पर " हम तुम और वो " की लव ट्रैंगिल आ गई। अब क्या था.. सानिया का निकाह इतिहास की तो नहीं, लेकिन चैनलों के इतिहास की बड़ी खबर बन रही थी।
लेकिन इसी गहमा गहमी के बीच एक ऐसे खबर ने दस्तक दी जिसे सुनकर देश सन्न रह गया। 6 अप्रैल 2010 की सुबह देश का अब तक का सबसे बड़ा नक्सली हमला। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 1000 नक्सलियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ के जवानों पर हमला बोल दिया। 76 जवानों के मरने की खबर भी साथ में आई। ये जवान दो दिन के ऑपरेशन ग्रीन हंट पर तैनाती के बाद थके हारे अपनी छावनी में लौट रहे थे। ऑपरेशन ग्रीन हंट नक्सलियों के खिलाफ जंग है जिसकी शुरूआत 2009 से हुई है। लेकिन त्रासदी देखें कि जवानों के हाथ दो दिन के सर्च में एक भी नक्सली नहीं आये, लेकिन सूचना तंत्र की नाक के नीचे 1000 नक्सली एक साथ इकट्ठा होते हैं और अब तक के सबसे बड़े नुकसान को अंजाम दे देते हैं। खबरिया चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज से सानिया का चेहरा हटता है और छत्तीसगढ़ का मानचित्र चिपक जाता है। गृह मंत्री की बाइट.. गृह सचिव की बाइट..छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की बाइट। नक्सलियों के फाइल फुटेज पर नक्सली हमलों का रायता फैल गया।
एक दिन की गहमा गहमी छायी रही...इस बीच सानिया भी कुछ नीचे ही सही हेड लाइन में बनी रही। लेकिन दंतेवाड़ा के हमले के एक दिन के बाद यानि 7 अप्रैल को जब प्राइम टाइम की खबर का हाल जानने के लिए चैनल सर्फ किया तो फिर सानिया, शोयब और आयशा सिद्दकी की वही पुरानी तस्वीरों पर नयी खबर लपेटी जा रही थी। नया क्या था !!!! वही जो होना था। आयशा सिद्दकी और शोयब के बीच सुलह। शोएब ने आयशा सिद्दकी को तलाक दे दिया। खबरें चलने लगी-- शोयब का झूठ .... किसी ने नाम दिया " शोएब या सौ ऐब"। हर कोई ये ही बता रहा था कि शोएब का सच उन्हें पहले से पता था। ..
लेकिन इस शोर के बीच एक चैनल था जो आज भी दंतेवाड़ा के हादसे को प्राइम टाईम की खबर मानकर बैठा था। और वो था एनडीटीवी इंडिया । पता नहीं कैसा चैनल है ये.. जिसे नहीं समझ आता है कि ग्लैमर बिकता है न कि भूखे नंगों की पीड़ा। मसाला बिकता है न कि नक्सली मुद्दा। ठीक है हमला हो गया सो हो गया। कौन सा वो किसी ताज होटल पर हमला था। आंकड़े बतातें हैं कि ऐसे हमले तो पिछले पांच दशकों से होते ही आ रहे हैं। 2009 में ही 1100 से ज्यादा लाशें गिर चुकीं है नक्सली हमलों में। जिस समस्या पर रिपोर्टर से लेकर विशेषज्ञ की राय ली जा रही है.. उसपर बाकी चैनल वालों ने हमले वाले दिन बहस तो करवा ही चुकें हैं। अब इस खबर में बाकि क्या रह गया जो उसे प्राइम टाइम में जगह मिले। दे भी दें... लेकिन ये गोया सानिया शोयेब का डेली सोप खत्म हो तब न। अब भले ही उसके रिपोर्टर नक्सली इलाकों में जाकर रिपोर्टिंग करें....दूसरे चैनल वाले तो ये सब कब का कर चुकें हैं। अब इस स्टोरी में फॉलोअप बस रह जाता है...लेकिन विनोद दुआ जी कैमरे के सामने बैठे थे और इस हमले पर एक के बाद एक जहर बुझे सवालों के तीर दागे जा रहे थे। सरकार के ऑपरेशन ग्रीन का ऑपरेशन यहां चालू था.... तो दूसरे चैनलों पर ऑपरेशन सानिया। दोनों के रिपोर्टर अपने अपने फील्ड पर मुस्तैद। न जाने कितने घंटों से इन्होंने खाया पीया नहीं होगा।
तिसपर एनडीटीवी की हद देखिये। पिछले दिनों रजौरी में मार गिराये गये 16 आतंकवादियों पर भी रिपोर्ट चला रहें हैं। यहां सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ किये लश्कर के आतंकियों को घेरने के लिए ऑपरेशन खोज चलाया था। सेना ने इस ऑपरेशन पर कामयाबी स्थानीय लोगों की मदद से हासिल की। ये तो महज एक ऑपरेश था... न जाने कितने ही ऐसे ऑपरेशन में सेना के साथ कश्मीर की आवाम खड़ी होती होगी... कितनी बार अपनी कुर्बानी देती होगी। सेना के जवान देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान गंवा देते हैं, लेकिन उनकी आह...कम ही न्यूज़ सेंटर तक पहूंचती है। ज्यादातर शहादत की खबरें 1.5 से 2 मिनट में ही निपट जाया करती हैं। जब तक हमला बड़ा न हो...टीकर से ज्यादा का स्पेस नहीं मिलता है। सास बहू और साजिश आपको सीरियल्स के हर दिन के अपडेट देतें हैं, लेकिन कहां मिलती है ऐसे ऑपरेशनों की भनक। वैसे तो सीमा पर इस तरह की घुसपैठ होती ही रहती है। लेकिन इसके ऑपरेशन पर आधे घंटे का प्रोग्राम बन जाए वो उन दिनों में जब देश भर में टेनिस सनसनी सानिया की खबर सनसनी फैला रही हो। गोया ये काम तो एनडीटीवी ही कर सकता है।
खैर, जिन्हें जो देखना है वो वही देखेंगे। लेकिन सवाल ये भी है कि खाने की ज्यादातर थालियों में अगर फास्ट फूड रखें हों और कुछेक में ही देसी चावल दाल भाजी हो तो जाहिर है जायका लेने के लिए लोग फास्ट फूड ही पसंद करेंगें। ऐसा ही कुछ हाल इस समाचार चैनलों का भी है।
बहरहाल... बहस बहुत बड़ी है। लोकतंत्र है...सानिया का विवादों से भरे निकाह की खबर बड़ी थी या फिर ऑपरेशन ग्रीन हंट की असफलता... ये जनता ही तय करे।

1 comment:

  1. नक्सली हमले की घटना अति दुखद रही...इस समाचार के आगे और कुछ सुनने का कहाँ मन हो सकता है.

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